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हारे हुए लोग

Ankit Mishra
1 min readAug 13, 2021

कंचोट रहा है एक सवाल
की जो हारे हुए लोग हैं वो कहाँ जायेंगे?

युद्ध का मैदान हो
या प्रेम में बलिदान
टूटे हुए सपने लिए चलता हुआ बचपन कोई
या हो कोई असफल कलाकार
जिसकी हर कृति
हर सृजन
हैं छान रही धूल कहीं !

है कहीं भी उल्लेख क्या
उन सभी खिलाड़िओं का
जो खो गए हैं भीड़ में
अश्रुओं की पीर में ?

देखो जरा इधर उधर
मिलेगा तुम्हे भी कोई विफल
माँ बाप बूढ़े सेज पर
या दोस्त कोई तीतर बितर !

होंगे कहीं तो सो रहे
वो पराजित नायक कहीं
ज़िन्दगी की दौड़ धूप में
खो गए कर्मचारी कई !

राम से रामायण तक
पुस्तकों के उदहारण तक
विजय का ही गान है
जो जीत गए महान हैं और जो हार गए गुमनाम हैं !

ये विश्व योग्य है नहीं
उन सभी के योग का
है रास्ता जिन्होंने चुना
असफल किन्तु उद्देश्य का!

फिर क्यूँ चुना उसने वही
जो विश्व को गँवारा नहीं
जो कर सकता था यकीन
खोखली निनाद पर
पर चेतना मरी नहीं शायद
या चुना उसने जो सत्य था
जो हारा आखिर वो भी
नायक नहीं महा नायक था।
~ DrunkardPoet

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Ankit Mishra
Ankit Mishra

Written by Ankit Mishra

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